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पशु चिकित्साधिकारियों को बताए लेप्रोस्कोपिक तकनीक की प्रक्रिया और फायदे

पशु चिकित्साधिकारियों को बताए लेप्रोस्कोपिक तकनीक की प्रक्रिया और फायदे

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य पशुचिकित्सा परिषद द्वारा सतत् पशुचिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत ट्रांसपोर्ट नगर स्थित स्टेट रेफरल सेंटर फार कैनाइन एण्ड फीलाइन में दो दिवसीय लेप्रोस्कोपिक तकनीकी इन पेट्स प्रशिक्षण शुरू किया गया। प्रशिक्षण का शुभारम्भ पशुपालन विभाग के निदेशक डा० नीरज सिंघल ने किया। उन्होंने प्रशिक्षण में आए हुए पशुचिकित्सकों से इस तकनीकी का फायदा पशुपालकों को देने की अपेक्षा की।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक में डा० अमित ध्यानी द्वारा लेप्रोस्कोपिक तकनीकी के लाभ व प्रक्रिया के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की गयी। डा0 अमित ध्यानी द्वारा वन विभाग में अभी तक 80 हजार बन्दरों का इस तकनीकी के माध्यम से बधियाकरण किया गया है। प्रशिक्षण कार्यकम में कार्ल्ड स्टोर्ज एण्डोस्कोपी इण्डिया द्वारा तकनीकी एवं उपकरण सम्बन्धी सहयोग किया गया।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड लाइवस्टॉक डेवलपमेण्ट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी डा० आर०एस० नेगी, उत्तराखण्ड पशुचिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डा० कैलाश उनियाल, रजिस्ट्रार डा० प्रलयंकर नाथ, डा० उदय शंकर गुप्ता, डा० बृजेश रावत, डा० लतेश जोशी, डा० रेनु चैहान, डा० नीलिमा जोशी आदि उपस्थित थे।

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