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विज्ञान को प्रकृति से जोड़कर संवेदनशील और समावेशी बनाने की आवश्यकता: जोशी

विज्ञान को प्रकृति से जोड़कर संवेदनशील और समावेशी बनाने की आवश्यकता: जोशी

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा हरेला पर्व 2025 का आयोजन पर्यावरणीय स्थायित्व, पारिस्थितिकी और वैज्ञानिक नवाचार को केंद्र में रखते हुए “फ्रूट फॉर फ्यूचर” थीम के अंतर्गत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत परिषद् के परिसर में पौधारोपण अभियान के साथ हुई, जो परिषद की पर्यावरण संरक्षण और समुदाय आधारित हरित पहलों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसी के साथ माँ धरा नमन विषय के अंतर्गत टोंस रिवर रेजुवेनशन कार्यक्रम में पौधरोपण पहल की भी शुरुआत कि गयी। हरेला महोत्सव के मुख्य अतिथि हेस्को के संस्थापक और पर्यावरणविद पदम् भूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी रहे।

कार्यक्रम के वैज्ञानिक सत्र में यूकॉस्ट के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और परिषद के कर्मचारियों और सदस्यों ने परिषद् के अंतर्गत संचालित विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं साइंस सिटी, नवाचार केंद्र, आदर्श चम्पावत, शोध एवं विकास, लैब ऑन व्हील्स , माँ धरा नमन, स्टेम लैब, साइंस टेक्नोलॉजी इनोवेशन पालिसी आदि, नवाचारों की गतिविधियों और प्रगति के साथ साथ पारिस्थितिकी संरक्षण, जल संरक्षण और जलवायु अनुकूलता और विज्ञानं संचार से जुड़े भविष्य की रणनीतियों से सबको अवगत कराया।

चर्चा के दौरान हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम में पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने अपने संबोधन में विज्ञान को प्रकृति से जोड़कर, संवेदनशील और समावेशी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान में मानवीय मूल्यों और भावनात्मक जुड़ाव के साथ साथ प्रौद्योगिकी विकास पर कार्य किया जाना चाहिए , और भविष्य में सतत विकास के लिए पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को साथ-साथ आगे बढ़ाना होगा।

यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने अपने संबोधन में पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान के समन्वय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने समाज के हित में विज्ञान के उपयोग और संरक्षण प्रयासों में समुदाय की भागीदारी को सशक्त करने के यूकॉस्ट के दृष्टिकोण को दोहराया।

कार्यक्रम का समापन यूकॉस्ट के जनसंपर्क अधिकारी अमित पोखरियाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा किया गया । कार्यक्रम में यूकॉस्ट, आंचलिक विज्ञान केंद्र एवं हेस्को के वैज्ञानिक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे ।

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